Tuesday, January 1, 2013

तक़सीम


मेरे बर्थडे की खीर 
मलाई में चूर 
मिठास में भरपूर 
सालों-साल बदस्तूर 

करो तक़सीम  
पहले मिस्कीन का हिस्सा निकल कर 
सबों में करो तकसीम 
कोई छूटा हो तो 
सबकी कटोरी से थोडा निकाल 
बराबर से बांटो 

एक तक़सीम ऐसा 
बराबर की हो हिस्सेदारी 
ना ज़्यादा मेरी ना कम तुम्हारी 

एक ऐसा भी 
धर्म वाली, ज़ात वाली, वर्ग-नस्ल-लिंग वाली 
बंटवारा हुआ ज़रूर 
मेरे आक़ा मेरे हुज़ूर 
बदस्तूर 
हिस्सेदारी का नहीं 
इन्सां को इन्सां से लड़ाने का 
कब्ज़े का, हथिआने का 

Saturday, December 29, 2012

पानी

एक-

पानी जब अपनी ज़ात दिखाता है 
तो पसीना छुड़ाता है 
पैंट गीली कर
हवा टाईट कर
लुटिया डुबो जाता है  
अपना अंजाम खुद बना जाता है 
एक नया धाम बना जाता है 

दो-

पानी कुछ नहीं बोलता 
चुप रहता हैं 
गुनगुनाता है बर्तन के भीतर 
जब उबलता है तो 
मचल जाता है 
उफन जाता है 
भाप बन जाता है 
हलचल मचा जाता है 
कोने कोने में भर जाता है 
बरस जाता है 
इमां बना जाता है 

एक, दो, तीन कविताएँ


एक- 

मौन हूँ  
मुंह में खंजर से तेज़ जुबां  रखा है 
आँखों में जुर्रत 
दिलों में तूफ़ान छुपा रखा है 

दो- 

ज़रुरत हैं आंच दिखाने की 
ताप-ताप कर 
खून को खून बनाने की 

तीन-

मुंसिफी न काम आएगी 
न फिज़ा न ये अदा 
और न अंदाज़े-बयाँ काम आएगी 
काम आएगी तो सिर्फ जुर्रते-जवानी आएगी 
सर्द पानी सी जिंदगानी तो पानी के भाव बिक जाएगी 
बाज़ारों में नज़र आएगी  
बाजारू कहलाएगी 

Tuesday, December 11, 2012

नाम

एक नाम उधारी का 
दे सको तो दो 
फ़क़त एक नाम 
जिस से नफ़रत कोई कर ना सके 
बदला कोई ले ना सके 
हत्या कोई कर ना सके 
एक नाम 
फ़क़त एक नाम उधारी का 

Thursday, August 2, 2012

तोहफ़ा इक वादे का


क्या इस राखी के दिन 
हम भाई अपनी बहना की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लेंगे ?
हाँ सुरक्षा !
सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक सुरक्षा

अगर हाँ ?
तो दें उसे तोहफ़ा इक वादे का 

इज्ज़त, स्वमान, सामाजिक और आर्थिक आज़ादी, बराबरी का वादा 
वादा यह भी कि
बराबरी हो अधिकारों कि 
अवसर की 
रोज़ी, रोटी, कपडा, संपत्ति की
चयन की 
अमन की 
घर में और घर के बाहर भी 


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Tuesday, July 17, 2012

तेरे नयनों के नीर

तेरे नयनों के नीर 
बरसा गए सवालों के तीर 

असमंजस में हूँ 
ख़ुद के ज़ख्मों को देखूं 
या तेरे नयन पोंछूं 

या खुला छोड़ दूँ बहने उन्हें 
शायद एक दिन दरिया बन 
सैलाब लाए 
पानी, नमक, मवाद
को खुद में समा
साथ बहा ले जाए 
कोरा कर जाए फिर से इक दफ़ा


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Wednesday, July 4, 2012

मैं तो आज भीज गया

मैं तो आज भीज गया 
तेरी बारिश में आज भीज गया
तेरे आगोश में समा के मैं तो पसीज गया 
मन का मारा मरीज़ गया 

दूर बहुत ही  मैं दूर जितना गया 
तेरे करीब गया 
मैं तेरे और तू मेरे नसीब गया 
बेतरतीब सा कुछ, अबूझ-अजीब गया 

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