कितने दिन हुए मझे हिचकी नहीं आई
लेकिन इन दिनों पुरानी यादें बार-बार दुहरा कर आई
कभी ख़्वाब बन
मुस्कराने का सबब बन कर
या कभी रुला जाने का कारण बन
आँखों के कोने का आब बन
तो कभी बार-बार आँखों के मलने पर लाल लहू बन
और रात-रात भर जाग-जाग कर ख़ुद को सुलाने का मक़सद बन कर
याद तो आई है हर बार
पुराने यार-दोस्त, अम्मी-पापा के क़िस्से
मेरे नखरे, थोड़ी झिड़की, थोड़ा प्यार
भईया की मार
आइस-क्रीम की रिशवत तो कभी कहानिओं की अंबार
वो बचपन का प्यार और जवानी की तक़रार
आई है याद बार-बार, हर बार
उन्हें तो आई होगी हिचकी ज़रूर मेरे याद करने पर
अब तो उन्हें आदत भी हो गई होगी हिचकिओं की शायद
या फिर उन्हें हिचकियाँ आती ही न हों शायद
मुझे क्यूँ नहीं आती है हिचकी बार-बार ?
सच बहुत दिन बीत गए हैं
हिचकिओं को दावत है की वो आएं
मेरा दामन पकड़ हाथ थाम
पुरानी यादों के नाम
एक बार तो आएं