Saturday, April 28, 2012

सब माल है, माया है- १



अभी कुछ दिनों पहले की बात है

इक शाम बंगलुरु के अर्ध-विक्सित से रिहायशी इलाके के

रिलायंस टाइम-आउट में

जग-मग बिजली में नहाई

किताबों के शेल्फ पे

एक से साथ एक मुफ्त का अदभुत तमाशा

मनु के साथ मार्क्स फ्री

मनमोहन के साथ अन्ना फ्री

बुश के साथ फिदेल और शावेज़ फ्री

और बोनस में माल फ्री यानि मेम्बरशिप फ्री

है न अदभुत ?!

फ्यूज़न है भाई

सब माल है, माया है

Monday, April 23, 2012

काला टीका


पहली बार हॉस्टल जाते वक़्त

चौदह साल की उम्र, दोपहर का वक़्त और ट्रेन का सफ़र



अलमुनियम की हांड़ी की कालिख के काजल का टीका

मल दिया था बाजी ने बाजु पर और

अम्मी ने हर बला से बचे रहने की दुआ के साथ

विदा कर दिया था ज़िन्दगी की डगर



अगली ही सुबह

क्लास जाने के होड़ में

होस्टल के तेज़ शावर और रेक्सोना के झाग के साथ

मिट कर बह गया काजल का टीका

और बह चला मैं भी



आज इतने बरसों बाद

वो ओझल काला टीका

जज़्ब हैं कहीं अन्दर

अन्दर, गाढ़ा और चट्टान सा

जिस्मों-जान में

अपनी पूरी तासीर के साथ



सच-मुच

अब तक आगे ही तो बढ़ा हूँ मैं

Thursday, April 19, 2012

લાંબી જીભ [लम्बी ज़बान]



માં- શું ભણ્યું શાળા માં આજે ?
[आज स्कूल में क्या पढ़े ?]

બાળક-  મેડમે ધાર્મિક સ્થળો વિષયે કશું વાંચતા હતા
[मैडम ने धार्मिक स्थलों के बारे में कुछ पढ़ कर सुनाया]

માં-ક્લાસમાં કશું ખબર પડે છે કે નહિ ?
[ क्लास में कुछ समझ में आता है भी या नहीं ?]

બાળક- આજે સેજ ઓછું ખબર પડી
[आज थोडा कम समझ में आया]

માં- કેમ ?
[क्यूँ ? ]

બાળક- ખબર નહિ કેમ, આજે મેડમ  જલ્દી માં હતા, જયારે આરામ થી ભાનાયે છે ત્યારે બધું ખબર પડે છે
[पता नहीं क्यूँ आज मैडम कुछ जल्दी में थी, जब आराम से पढ़ाती हैं तो सब समझ में आता है]

માં- સારું! ક્યા-ક્યા ધાર્મિક સ્થળો વિષયે  મેડમે  શું  ભાનાયું?  જરાક મને પણ માલુમ પડે ના કેટલી ખબર પડી ?
[अच्छा ! किन-किन धार्मिक स्थलों के बारे में क्या पढ़ाया? थोडा मुझे भी तो मालुम चले तुम्हें कितना समझ में आया?]

બાળક- મસ્જીદો અને મકબરા બાબત કશું બોલતા હતા
[मस्जिदों और मकबरे के बारे में कुछ बोल रही थीं]

માં- શું બોલતા હતા?
[क्या बोल रही थीं ?]

બાળક- ભૂલી ગયો, માં ! આ મસ્જીદ અને મકબરા એટલે શું?
[भूल गया ! माँ ! मस्जिद और मकबरा मतलब क्या ?]

માં- કેમ? મેડમે નથી ભાનાયું?
[क्यूँ? मैडम ने नहीं पढ़ाया ?]

બાળક- બતાયુ ને, કિ ખબર નહિ પડી
[आपको बताया ना ! समझ में नहीं आया]

માં- મંદિર જેવું હોયે છે પણ ત્યાં  હિંદુ નહિ મુસલમાનો પૂજા કરે છે
[मंदिर जैसा ही होता है, लेकिन वहां हिन्दू नहीं मुस्लमान पूजा करते हैं]

બાળક- મુસલમાન શું હોયે છે ?
[मुसलमान क्या होता है ?]

માં- પેલ્લી બાજુ રહે છે ના તેજ
[उस तरफ रहते हैं ना, वोही]

બાળક- આપણી બાજુ એક પણ મસ્જીદો કે મકબરા કેમ નથી ? અને આપણી સોસાયટી માં મુસલમાનો કેમ નહિ રહેતા ?
[अपनी ओर एक भी मस्जिद क्यूँ नहीं? और अपने सोसायटी में मुसलमान क्यूँ नहीं रहते?]

માં- કેમ ? અહયા કેમ હોવી જોયીયે મસ્જીદો અને મુસલમાનો ?
[क्यूँ? यहाँ क्यूँ होना चाहिए मस्जिद और मुसलमान?]

બાળક- એમજ !
[ऐसे ही !]

માં- મને શું ખબર ! પણ પપ્પા થી ના પૂછતો
[मुझे क्या पता ! लेकिन पापा से नहीं पूछना]

બાળક- કેમ?
[क्यूँ?]

માં- ચુપ કર હવે ! તમારી  જીભ ઘણી લાંબી થઇ ગયી છે
बस चुप करो ! तुम्हारी ज़बान बहुत लम्बी हो गयी है]

Wednesday, April 18, 2012

किस्मत

पिछले सावन की ही तरह इस बार भी
बगीचे के आम पर फिर से
हरी-हरी मुलायम कोपलें आईं
इस बार कोपलों के साथ
कुछ फूल भी आए
कुछ सफ़ेद, कुछ हल्के ज़र्द

फूलों पर भंवरें-मधुमक्खियाँ भन-भनाने लगी
और माली कहने लगा
किस्मत अच्छी रही तो
बादलों के फूटते ही
एक-आध फल भी नसीब हो जाए शायद इस मौसम
आमरस न सही मगर चटनी तो चखाएगी ही

पता नहीं क्यूँ ?
कल से ही माली ने आम की चौकसी बढ़ा दी है
और हमें भी उस पेड़ पर खेलने की मनाही हो गयी है
उसके गिर्द काँटों का बाड़ा बना दिया है उसने
और एक लकड़ी के तख्तों का फाटक लगाया है
सिर्फ अपने आने-जाने के लिए

माली के कहने पर
गाँव-मोहल्ले की महिलाओं ने मिल कर न जाने क्यूँ
उसके तनों पर लाल-पीले डोरों का ताना-बना गढ़ा है
पता नहीं क्यूँ ?

लेकिन कुछ भी कहो
आम की तो किस्मत ही खुल गई है
है ना?

Monday, April 2, 2012

सब बिकता है

जो बिकता है वो टिकता है
यहाँ नायक बिकता है खलनायक बिकता है
राजा बिकता है राजनेता बिकता है
बहन बिकती है बेटा बिकता है
गाँधी का बन्दर और अन्ना का टोप बिकता है
तस्वीर बिकती है, तुलसी और मीर बिकता है
पशुओं का चारा बिकता है
पेटीकोट का नाड़ा बिकता है
खेल बिकता है खेलवय्या बिकता है
तेल बिकता है, रेलम-पेल बिकता है
राम बिकता है हनुमान बिकता है
गीता और क़ुरान बिकता है
हिट बिकता है फ्लॉप बिकता है
पॉप बिकता है, मन्त्रों का जाप बिकता है
हर शय, हर एक किरदार बिकता है
यहाँ तो खरीदार भी बिकता है
बार-बार बिकता है
राइट बिकता है, लेफ्ट और सेन्टर भी बिकता है
सब बिकता है

जय हो ! तेरी, अधिनायक
जय हो !
अब तो तू भी बिकता है
तभी तो पांच साल टिकता है