एक-
पानी जब अपनी ज़ात दिखाता है
तो पसीना छुड़ाता है
पैंट गीली कर
हवा टाईट कर
लुटिया डुबो जाता है
अपना अंजाम खुद बना जाता है
एक नया धाम बना जाता है
दो-
पानी कुछ नहीं बोलता
चुप रहता हैं
गुनगुनाता है बर्तन के भीतर
जब उबलता है तो
मचल जाता है
उफन जाता है
भाप बन जाता है
हलचल मचा जाता है
कोने कोने में भर जाता है
बरस जाता है
इमां बना जाता है