Thursday, January 10, 2013

टनल (Tunnel)


हमने जो अपनी यह दुनिया बसाई है 
सदिओं से यह टनल सी नज़र आई है 

आसमान, ज़मीन, दुआर
मंदिर-मस्जिद-गिरजा, बाज़ार 
मोटर, जेट और सरकार 
घर-बार-बसेरा 
सबेरा से गदबेरा 
सब टनल के भीतर 
कौआ-हंस , बटेर-तीतर 
बाप-भाई, बहु-बेटी, ससुराल-पीहर 
बाहर कम, ज्यादा भीतर 
 
टनल तो  है साबूत-मज़बूत 
इक दिन बनेगा सबका ताबूत 

तो कर सको तो करो जतन 
और 
खिड़की से सतरंगी स्क्रीन को करो रोल 
खिड़की को तो ज़रा दो खोल 
चौखटे को चाक कर 
दरवाजों  को आज़ाद कर
मांद छोड़ तबियत से लगाओ छलांग
हम-सफों का बैंड बनाओ 
साजो-सुर लगाओ 
आज़ादी के गीत गाओ 
सुर्ख सवेरे से करो रौशन 
कोना-कोना, पोर-पोर 
टनल के कोने में आजादी की भोर  

Tuesday, January 1, 2013

तक़सीम


मेरे बर्थडे की खीर 
मलाई में चूर 
मिठास में भरपूर 
सालों-साल बदस्तूर 

करो तक़सीम  
पहले मिस्कीन का हिस्सा निकल कर 
सबों में करो तकसीम 
कोई छूटा हो तो 
सबकी कटोरी से थोडा निकाल 
बराबर से बांटो 

एक तक़सीम ऐसा 
बराबर की हो हिस्सेदारी 
ना ज़्यादा मेरी ना कम तुम्हारी 

एक ऐसा भी 
धर्म वाली, ज़ात वाली, वर्ग-नस्ल-लिंग वाली 
बंटवारा हुआ ज़रूर 
मेरे आक़ा मेरे हुज़ूर 
बदस्तूर 
हिस्सेदारी का नहीं 
इन्सां को इन्सां से लड़ाने का 
कब्ज़े का, हथिआने का