Tuesday, July 17, 2012

तेरे नयनों के नीर

तेरे नयनों के नीर 
बरसा गए सवालों के तीर 

असमंजस में हूँ 
ख़ुद के ज़ख्मों को देखूं 
या तेरे नयन पोंछूं 

या खुला छोड़ दूँ बहने उन्हें 
शायद एक दिन दरिया बन 
सैलाब लाए 
पानी, नमक, मवाद
को खुद में समा
साथ बहा ले जाए 
कोरा कर जाए फिर से इक दफ़ा


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