एक-
मुंह में खंजर से तेज़ जुबां रखा है
आँखों में जुर्रत
दिलों में तूफ़ान छुपा रखा है
दो-
ज़रुरत हैं आंच दिखाने की
ताप-ताप कर
खून को खून बनाने की
तीन-
मुंसिफी न काम आएगी
न फिज़ा न ये अदा
और न अंदाज़े-बयाँ काम आएगी
काम आएगी तो सिर्फ जुर्रते-जवानी आएगी
सर्द पानी सी जिंदगानी तो पानी के भाव बिक जाएगी
बाज़ारों में नज़र आएगी
बाजारू कहलाएगी
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