शब्दों का स्टाक ख़त्म हो गया सा है
अभिव्यक्तियों का का ढेर अवशेष हो गया सा है
हमेशा कि तरह पंक्तियों का मिलना कम हो गया है
ना मिलना पंक्तियों का
और फिर अकस्मात् ही मिल जाना उसका
न मिल पाने का ग़म
और फिर मिल जाने का हर्ष दुर्गम
फिर न मिलने और मिल जाने कि सारी प्रक्रिया
व्यक्त करने को मात्र शब्द
घटते-जुड़ते शब्द
एक शब्द, दो शब्द, दो-दो चार शब्द
फिर उन शब्दों में निहित उनके अर्थ
बनते वाक्य, वाक्या दर वाक्या
बिगड़ते वाक्य, वाक्या दर वाक्या
बनती कविता, बिगड़ती कविता
पूरी कविता
वाक्य दर वाक्य
वाक्या दर वाक्या
ज़िन्दगी भर की कविता
शब्दों से भरी-पूरी कविता
ज़िन्दगी की तरह अधूरी कविता
बढती-घटती पूरी कविता
It's beautiful.... =)
ReplyDelete-Shobhit
awesome dude.....ati uttam....:)
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