Monday, June 4, 2012

तितली

इन्सां तितली के मानिंद
उड़ते मचलते
ख़ूबसूरत रंगों की  रंगोली ओढ़े
आकर्षित, ललचाते, लुभाते

सबके सब तितली के दीवाने
पकड़ते, प्रेम जताते, सहलाते
दूसरों से बचाते 
रंग चुराते
खुद तितली को बेरंग कर जाते
आकर्षण उड़ा ले जाते

जब कभी खो जाने के भ्रम में
खुद से बांधने के प्रयास में
तितली को रेशमी डोर के छोर से बांधते
उसकी उड़ान पे लगाम कसते
उर्जा निचोड़
छोड़ देते उसको एक छोटी सी उड़ान को तरसते

अधिकार जमाते, मिल्कत बनाते जब भी
बंद करते उसको रत्न-जडित संदली ताबूत में
अपने-आप में खुश होते
सांस-सांस को तरसते
हांफ-हांफ कर मरता छोड़ 
मर जाने देते
तितली को

फिर क़ैद हो जाते खुद ही
एक आजीवन कारावास में
शोक और खालीपन के बीच
हत्या और हत्या के प्रयास में




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