कोलाज
किस्से, कहानिओं, कविताओं की ड्योढ़ी
Tuesday, June 5, 2012
इन्सां का रंग
इन्सां का रंग कच्चे रंग
का
होता है
थोड़ा क़रीब आते ही पसीजता है
पसीजते ही रंग छोड़ता है
रंग जाता है
ज़मीन-ओ- आसमान को
खुद बदरंग हो
रंग देता है अपने ही रंग में सबको
हमेशा
इसे
फेसबुक
पे भी पढ़ा जा सकता है
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