Sunday, June 26, 2016

पंखीड़ा रे - 2

पंखों को आदाब सिखा कर उड़ने का हुनर ही भूल गया
उड़ते रह कर, कूक लगा कर अफ़साने गाना भूल गया
हमसफी छोड़ कर अपनों का ठिकाना  भूल गया
आब-ओ-दाना भूल गया
चुग्गे का दाना भूल गया

भूल गया, हाय! यूँही फ़िज़ूल गया

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