Wednesday, July 28, 2010

अनाम कविता

टकराना
दोनों की आँखों का
अंधियारे की रौशनी में
टकराना, कुछ देर आपस में, खामोश
बारी-बारी, साथ-साथ
ढूँढना
एक दुसरे की नज़रों में
कुछ, सब कुछ
क्या कुछ?

ना मिल पाना
ढूंढती आँखों के सिवा,
कुछ भी,
एक ख़ालीपन,
कन्फ्यूजन, ना ढूंढ पाने का
उसे चाहती है
दोनों की आंखें
एक दीवार
जिसे देख नहीं पाती
दोनों की आंखें

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